रावतपुराधाम । राष्ट्रीय संत मुरारीबापू ने कहा है कि शुभ की छाया में लाभ ही लाभ है मुरारी बापू ने कहा कि हनुमान जी की पूजा करने से हर व्यक्ति को लाभ मिलता है गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा के पाठन से लाभ बताते हुए कहा है कि आपके ऊपर कभी संकट नहीं आयेगा और हर समय आप निरोग रहोगे। पवन तनय का नाम लेने से शुभ लाभ होता है हमारे गुजरात में पहले लाभ लिखा जाता है फिर शुभ लिखा जाता है लेकिन बाकी प्रान्तों में पहले शुभ लिखते हैं बाद में लाभ यह विचार मुुझे स्वीकार है शुभ में लाभ ही लाभ है, शुभ की छाया में लाभ ही लाभ है, लाभ हर समय शुभ नहीं हो सकता।
मुरारीबापू ने पूज्य व्यासपीठ से अपनी रामकथा के आठवें दिन की शुरूआत हनुमान चालीसा से की। इससे पहले पूज्य मुरारी बापू ने पूज्य व्यासपीठ की परिक्रमा कर पूज्य व्यास पीठ पर स्थान ग्रहण किया। आज संत मुरारी बापू अनन्त विभूषित पूज्य महाराज रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर के साथ पूज्य व्यासपीठ पर पहुंचे। इस अवसर पर वेद शिक्षा ग्रहण कर रहे शिक्षार्थियों ने शंख, घण्टे, घडियाल बजाकर बापू का स्वागत किया। रामकथा की शुरूआत वेदपाठ आ नो भद्राः क्रतवो के साथ हुई। महाराज रविशंकर जी (रावतपुरा सरकार) कर्मयोगेश्वर एवं मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने रामकथा को आम भक्तों के बीच बैठकर सुना संत श्री मुरारी बापू ने रामकथा की शुरूआत सियाराम, सियाराम, सियाराम, सिय, सिय श्रीराम के साथ करी। इसके बाद उन्होंने हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ किया। उन्होंने कहा कि इस पावन रावतपुराधाम में रावतपुरा हनुमान जी जो कि पिछले पाॅच सौं वर्षों से यहां विराजित हैं, के चरणों में प्रणाम करते हुए पवन तनय हनुमान के साथ इस स्थान के परमपूज्यनीय रविषंकर जी रावतपुरा सरकार के चरणों में प्रणाम करता हूं। यहां उपस्थित सभी पूज्य संत विद्वानगण और भक्तगणों को व्यासपीठ से आज शीत लहर सहन करने के लिए मेरा प्रणाम जय श्रीराम। इस अवसर पर पूज्य पोथी पर पुष्प डी एन त्रिवेदी, अमित उपाध्याय, गणेश पण्डा, रमेश पटेरिया, अभि प्रताप, अतुल सिंह, गोपाल पाठक, दयाराम, योगेश, मंजू यादव, नागेन्द्र, राजेश शुक्ला सत्यनारायण शर्मा ने अर्पित किए। कथा का संचालन रमाकान्त व्यास ने किया। संतश्री मुरारी बापू ने कहा कि आज हम पवित्र रामकथा के आठवें चरण की ओर बढ रहे हैं मानस पवन तनय गुरूकृपा एवं गुरूग्रंथ की कृपा से सात्विक एवं तात्विक चर्चा कर रहे हैं। यह पवित्र आश्रम जहां पांच सौ साल से रावतपुरा हनुमान जी विराजमान है ऐसे रावतपुरा हनुमान जी की कृपा से नौ दिनी शीत कालीन अनुष्ठान चल रहा है। हनुमान जी की अध्यक्षता में ही इस कथा का मंगल आयोजन है। इसलिए व्यासपीठ से मैं मुरारी बापू आपको शीतल प्रणाम करता हूं। इस कथा का 170 देषों में सजीव प्रसारण हो रहा है आज भारी शीत होने के बाद भी रामकथा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड उमडी कथा स्थल आज छोटा पड गया। जिसको जहां जगह मिली उसने वहीं से कथा सुनी। रावतपुरा धाम लोक कल्याण ट्रस्ट द्वारा रावतपुराधाम परिसर में हर जगह माईक लगाए गए। जिसके कारण श्रोतागण माईक के पास बैठकर कथा सुनते रहे अनुमान के अनुसार करीब पैंतीस हजार से ज्यादा श्रद्धालुगण रामकथा सुनने के लिए उपस्थित थे।
मुरारी बापू ने कहा कि कथा के क्रम में प्रवेश करते हुए हम श्रीराम और माॅ जानकी के विवाह की ओर बढ रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने पुरानी फिल्म का एक गीत तस्वीर तेरी दिल में जिस दिन से उतारी है सुनाई उन्होंने कहा भगवान श्रीराम जनकपुर में जहां जहां से गुजरते है परमानन्द होता है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि भगवान श्रीराम गुरू की पूजा के लिए पुष्प तोडने आते हैं वहीं पर माॅ जानकी भी अपनी सखियों के साथ वाटिका में आती हैं यहीं पर माता सीता ने अपनी सखियों के पीछे से भगवान श्रीराम को पहली बार देखा तीसरे दिन रंगभूमि पर जानकी के भाग्य का निर्णय होना है भगवान शंकर का धनुष रखा हुआ है। कई शूरवीर बैठे हैं इस अवसर पर राजा जनक के सेनापति सब राजाओं को देखकर कहते हैं कि राजा जनक की प्रतिज्ञा है जो इस धनुष को तोड देगा उसके गले में सीता वरमाला डालेगी। सीता ने तो बचपन में ही गोवर लीपने के लिए इस धनुष को उठाकर दूसरी जगह रख दिया था कई राजा अहंकार में आते हैं धनुष को छूते ही राजाओं का बल धनुष में चला जाता है। राजा गिर पडते हैं जनक इस समय आक्रोष में आ जाते हैं कि धरती पर कोई शूरवीर नहीं बचा जो इस धनुष को उठा सके। लक्ष्मण क्रोध में आ जाते हैं वह भगवान श्रीराम से कहते हैं कि राजा जनक तो अपमान कर रहे हैं प्रभु श्रीराम कहते हैं वह वीर का अपमान कर रहे है हम तो रघुवीर हैं इसलिए हमारा अपमान नहीं हुआ। गुरू विष्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान श्रीराम धनुष को प्रणाम करते हैं धनुष को तोडते ही सूर्य प्रकट हो जाता है। यह धनुष भगवान श्रीराम क्षण के मध्य मार्ग में ही तोड जाते है भगवान सूर्य नारायण के घोडे धनुष के टूटने की आवाज सुनकर अपनी दिशा भूल जाते है पृथ्वी हिलने लगती है। स्वर्ग के देवताओं ने अपने कानों पर हाथ रख लिए अब माॅ सीता प्रभु राम को वरमाला डालती हैं। इसके बाद उन्होंने विस्तृत रूप से लक्ष्मण और परषुराम संवाद भक्तगणों के बीच रखा। परशुराम समझ गए कि भगवान का पूर्णावतार हो चुका है अब शरणागत होने में ही फायदा है। उसके बाद परशुराम तपस्या करने चले गए। विश्वामित्र राजा जनक से कहते हैं ब्याह तो हो गया लेकिन राजा जनक हम राजा दशरथ को बुलाकर लोक और वेदनीति से विवाह करेंगे। जानकी के अलावा अन्य तीन पुत्रियों का विवाह भगवान श्रीराम के भाईयों लक्ष्मण भरत और शत्रुघन से होता है।
श्रीराम चरित मानस में नौ तरह का विश्वास है
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस में नौ तरह का विष्वास देखने को मिलता है संक्रिय विष्वास, अटल विश्वास, अंधविश्वास, भरतविश्वास, एकही विश्वास, अक्षय विश्वास, अंगद विश्वास, दृण विष्वास और पात्र विष्वास इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि हमें किसी पर वर्णशंकर विष्वास नहीं करना चाहिए। न डिगे, न हिले वह अटल विश्वास होता है। प्रभु सब पर भरोसा रखते हैं क्योंकि लक्ष्मण जी जब भगवान श्रीराम से कहते है कि भरत और ककैयी विश्वास करने लायक नहीं है और जब विभीषण भगवान श्रीराम की शरण में आया तो सुग्रीव ने कहा कि विभीषण भरोसे लायक नहीं है लेकिन भगवान श्रीराम भरोसा कर विभीषण को स्वीकारते हैं। भरत विश्वास पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भरत को विश्वास था कि भगवान श्रीराम मेरा त्याग नहीं करेंगे मुझे मेरे प्रभु पर भरोसा है। जिस पर विश्वास हो उसके वचन पर भी विश्वास रखना चाहिए।
आज की रामकथा के समापन अवसर पर मंत्री गोविन्द सिंह, मंत्री हर्ष यादव, विधायक अनिल जैन, रेखा यादव, उत्तरप्रदेश के एमएलसी रमा निरन्जन, उदयप्रताप सिंह, देवेन्द्र त्रिपाठी, वृन्दावन के प्रधान पुजारी राधा बल्लभ, पीपाचार्य बल्लभशरण ने समापन आरती में भाग लिया।
शुभ की छाया में लाभ ही लाभ है- संत मुरारीबापू